घर केवल ईंट, पत्थर और लकड़ी का ढांचा नहीं है, बल्कि यह हमारी भावनाओं, विचारों और जीवन की ऊर्जा का केंद्र होता है। आंतरिक सजावट जितनी आकर्षक और आधुनिक होनी चाहिए, उतनी ही संतुलित और सामंजस्यपूर्ण भी होनी चाहिए। वास्तु शास्त्र हमें बताता है कि घर के भीतर की वस्तुओं की सही दिशा, रंग और व्यवस्था जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाती है।
✨ क्यों ज़रूरी है आंतरिक वास्तु?
अक्सर लोग घर की सजावट में बाहरी सुंदरता पर ध्यान देते हैं, लेकिन अंदर की गलत दिशा या असंतुलन जीवन में समस्याएँ खड़ी कर देता है।
गलत दिशा में रखा हुआ बिस्तर नींद की समस्या और मानसिक तनाव ला सकता है।
दक्षिण-पश्चिम (South-West) में भारी सामान न रखना अस्थिरता को बढ़ा सकता है।
उत्तर-पूर्व (North-East) में गंदगी या अव्यवस्था आर्थिक और आध्यात्मिक प्रगति को रोक सकती है।
🏠 आंतरिक व्यवस्था के सरल वास्तु उपाय
शयनकक्ष (Bedroom): बिस्तर दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। सिर दक्षिण की ओर करके सोना स्वास्थ्य के लिए शुभ है।
बैठक कक्ष (Living Room): उत्तर-पूर्व दिशा को साफ और हल्का रखें। इस स्थान पर जल तत्व या हरे पौधे सकारात्मकता बढ़ाते हैं।
पूजा स्थल: हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए ताकि घर में आध्यात्मिक ऊर्जा बनी रहे।
रंग संयोजन: हल्के और प्राकृतिक रंग मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करते हैं।
फर्नीचर व सजावट: भारी सामान दक्षिण-पश्चिम दिशा में और हल्की वस्तुएं उत्तर-पूर्व में रखें।
🌿 लाभ
✅ घर में शांति और सामंजस्य बना रहता है
✅ स्वास्थ्य और नींद में सुधार होता है
✅ आर्थिक स्थिरता और प्रगति के अवसर बढ़ते हैं
✅ पारिवारिक रिश्ते मजबूत होते हैं
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